नवनियुक्त सहायक प्राध्यापकों ने स्टाइपेंड नामक नए भुगतान प्रणाली के तहत हो रही आर्थिक क्षति के लिए अपर कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

●युगल किशोर साहू●
रायपुर■ विदित हो कि छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग द्वारा राज्य में 1384 सहायक अध्यापकों की भर्ती की गयी है जिसमें 1205 लोगों की नियुक्ति का आदेश भी जारी किया जा चुका है किंतु ज्ञापन की कंडिका के अनुरूप इन्हें वेतन,भत्ता व अन्य सुविधाएं नही दिया जा रहा है सहायक प्राध्यापकों को शुद्धि पत्र के माध्यम से स्टाइपेंड नामक नए भुगतान प्रणाली से 70,80 90% वेतन प्रदान किया जा रहा है जिसमें से 20 से 25 हजार प्रति माह की आर्थिक क्षति पहुंच रही है साथ ही ज्ञापन के अनुरूप परिवीक्षा अवधि के 2 वर्ष के स्थान पर 3 वर्ष कर दिया गया है स्टाइपेंड भुगतान प्रणाली में कार्य अनुभव गणना चौथे वर्ष की जाएगी अर्थात शासकीय सेवक की 5 वर्षीय सेवा की गणना 2 वर्षो के कार्यानुभव के रूप में किया जाएगा जबकि पूर्व वेतनमान प्रणाली में यह अवधि 5 वर्ष की होती थी परीवीक्षा अवधि में देय वेतन वृद्धि का लाभ परिवीक्षा अवधि समाप्ति के पश्चात एरियर्स के रूप में दिया जाता था किंतु स्टाइपेंड में ऐसा कोई प्रावधान नही है
शासन के दोहरे रवैय्ये पर भी सहायक प्राध्यापको ने सीहिनता जाहिर करते हुए बताया कि एक तरफ स्वास्थ्य विभाग में 100% वेतन का शुद्धि पत्र लाकर भुगतान करने हेतु शिथिलता प्रदान किया गया है ये नीतियां अन्यायपूर्ण हैं वेतन कटौती होने से सहायक प्राध्यापक आर्थिक व मानसिक तनाव के दौर से गुजर रहे हैं जबकि यूजीसी के के द्वारा शासन को वित्तीय अनुदान प्राप्त होता है तकनीकी त्यागपत्र के संबंध में भी स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं होने के कारण इसका स्पष्ट लाभ पूर्व सेवा के लोगों को नहीं मिल पा रहा है जिसके चलते मुख्यमंत्री व राज्यपाल के नाम पर अपर कलेक्टर को अपनी मांगों लेकर ज्ञापन सौंपा गया है ज्ञापन सौंपने वालों में सहायक प्राध्यापक कुलेश्वर साहु,विजय पटेल,रेशमा रब्बानी,वर्षा ठाकुर,शांति राजवाड़े,धार्मिका अग्रवाल, विनायक साहू,प्रदीप खरे,गार्गी शुक्ला,मिथलेश कुमारी गुप्ता, रश्मि टोप्पो आदि सहायक प्राध्यापक उपस्थित रहे।