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शासन-प्रशासन की आंखों में धूल झोंककर सेल्समैन द्वारा अच्छा राशन ब्लैक में बेचने व घटिया कचरा और कीड़ा युक्त चावल गरीबों को वितरण करने का बड़ा मामला सामने आया है पढ़िए पूरा खबर

◆कृष्णकुमार सोंधिया◆
अनूपपुर●अनूपपुर जिला के अंतर्गत बरहाटोला खमरिया गांव में सेल्समैन गरीबों के आपका अच्छा चावल ब्लैक में बेच रहा है और घटिया दुर्गंध कचड़ा कीड़ा आयुक्त चावल गरीबों को वितरण कर रहा है और गरीबों को बेवकूफ बना रहा है पूछे जाने पर सेल्समैन के द्वारा बताया जाता है ऐसा ही राशन ऊपर से आ रहा है जैसा विभाग से आएगा वैसा ही मैं दे रहा हूं अब सवाल ऊपर वाला है ऊपर वाला मतलब विभाग से क्या खाद्यान्न विभाग से घटिया दुर्गंध की कचड़ा कीड़ा युक्त चावल गरीबों को दिया जा रहा है या खेला नीचे वाले का है या अधिकारी और सेल्समैन की मिलीभगत से वितरण हो रहा है सेल्समैन द्वारा खुलेआम भ्रष्टाचार किया जा रहा है इस मामले में न शासन प्रशासन ध्यान दे रहा ना जिले में बैठे अधिकारी ना कोई कार्यवाही की जा रही लोगों का कहना है कि जब से बरहा टोला खमरिया गांव में सोसाइटी बनी है तब से सोसाइटी राशन की दुकान में ऐसा ही घटिया दुर्गंध कीड़ा युक्त चावल दिया जा रहा है हम क्या करें मरता क्या न करता मजबूरी में उसी को खाकर जी रहे हैं कहा जाता है जो मिल रहा है उसे चुपचाप ले लो उसी को खाओ नहीं तो वह भी नहीं मिलेगा लेना है तो लो नहीं तो घर में सो सवाल यह है की राज्य सरकार केंद्र सरकार इनके पास चावल गेहूं दलहन तिलहन खेती से संबंधित चीजें आती कहां से क्या शासन-प्रशासन हल
चलाता है खून पसीना बहाता हैं धूप में भूखे प्यासे रहकर मेहनत मजदूरी करके धरती से सोना उगाता है नहीं अपनी जरूरत पूरा करता है गरीबों का शोषण कर करता है एक गरीब किसान दिन रात खून पसीना बहा कर रहकर दिन-रात नहीं देखता भूखे प्यासे रह कर धूप में नंगे पैर तन में कपड़े नहीं हल चलाता है फिर बीज होता है उसके बाद फसल की रात दिन चौकीदारी करता फिर धरती से सोना उड़ाता है उसे बेचकर गरीब किसान रोटी कपड़ा मकान की व्यवस्था करता है पूरे देश के लोग का पेट भरता है जरूरत पूरा करता है पर गरीब को क्या मिलता है एक तरफ शासन प्रशासन एलान करता है अच्छे दिन आएंगे देश की जनता एवं देश मे कोई गरीब नही रहेगा सबको रोटी कपड़ा मकान दूंगा हर सुविधा दूंगा रोजगार दूंगा पर कहा मिला और किया मिला जो दिया हर चीज में टैक्स वसूल लिया अब क्या बचा जो दिया वह ले लिया देश की जनता किसान कल भी गरीब थे आज भी गरीब है शौचालय बनवाया सब गुणवत्ता है टूट कर ध्वस्त हो गए बाकी अधूरा और रोड बनवाया आज टूट फूट गई जर्जर हो गई कोई देखने वाला नहीं आवास दिया मकान अमीरों का बना गरीबों का आज भी किस्त नहीं आई कुछ बने कुछ आवास नाम का ढांचा खड़ा है राशन दे रहा गरीबों को वह भी घटिया कचरा कीड़ा वाला क्या बदलाव आया शासन-प्रशासन की हर सुविधा सिर्फ 25% ही उपयोग में है बाकी सब दुरुपयोग सिर्फ दिखावा रह गया गरीबों का शोषण होता रहा अब सवाल यह है कि शासन प्रशासन की कब आंख खुलेगी कब सपनों की दुनिया से कब बाहर आएगा देखेगा की देश की जनता गरीब किसान आस लगाए रोटी कपड़ा मकान के लिए द्वारे बैठे हैं यदि देश की सरकार शासन प्रशासन जागरूक नहीं हुई अपने अंतर्ध्यान की समाधि से बाहर नहीं निकला तो ऐसा ना हो शासन प्रशासन के गण भ्रष्टाचार करने वाले कीड़े देश को खोखला करके बेच कर खा जाए जब अंतर्ध्यान की समाधि से बाहर निकले तब देश दुनिया का अस्तित्व ही खत्म हो जाए

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