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07 वर्षों से लंबित जमीन विवाद का मामला लोक अदालत में मिनटों में निबटाया गया,न्याय शुल्क भी वापस हुआ

पिथौरा में नेशनल लोक अदालत आयोजित कुल 208 प्रकरण निराकृत

●स्वप्निल तिवारी●

पिथौरा■ मामलों का त्वरित विचारण व्यक्ति का मूल अधिकार है। विचारण अथवा न्याय में विलम्ब से व्यक्ति की न्याय के प्रति आस्था डगमगाने लगती है अतः त्वरित विचारण की दिशा में कार्य करने हेतु लोक अदालत का गठन किया गया है। उक्ताशय की बातें आज पिथौरा में आयोजित लोक अदालत के अवसर पर न्यायाधीश प्रतीक टेम्भूरकर ने उपस्थित पक्षकारो के समक्ष व्यक्त किये उन्होंने कहा कि लोक अदालत एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें मामलों (विवादों) का निपटारा पक्षकारों की पारस्परिक सहमति से किया जाता है। इसमें न किसी पक्षकार की जीत होती है और न हार। दोनों पक्षों में पुनः स्नेह, सौहार्द्र एवं बंधुत्व का भाव उत्पन्न हो जाता है।

परस्परिक सहमति से 21 दाण्डिक एवमं 2 सिविल मामलो का हुआ निराकरण:-

लोक अदालत में निराकरण हेतु लगभग 200 दाण्डिक प्रकरण एवं सिविल प्रकृति के मामलों को सुनवाई हेतु रखा गया था जहां पर पक्षकारों के उपस्थित होने पर 21 दाण्डिक मामलों को राजीनामा के आधार पर निराकरण किया गया साथ ही सिविल प्रकृति के दो मामले भी निराकृत हुए हैं आबकारी के 34 व मोटर यान अधिनियम 151 प्रकरणों की भी त्वरित सुनवाई करते हुए लोक अदालत में निराकरण हुआ है बैंक एवं विद्युत विभाग के द्वारा लोक अदालत के माध्यम से 250,000 रु राशि वसूली की कार्यवाही की गई है ।

ज्ञात हो कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) नई दिल्ली के निर्देशानुसार वर्ष 2023 में आयोजित होने वाले नेशनल लोक अदालत के अनुक्रम में छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के मार्गदर्शन में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के दिशा निर्देश में 11 फरवरी शनिवार को तालुका स्तर पर स्थानीय व्यवहार न्यायालय पिथौरा में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया। राजीनामा योग्य प्रकरणों में पक्षकारों की आपसी सहमति व सुलह समझौता से निराकृत किये गये हैं। विदित हो कि 11फरवरी को पूरे देश भर में उच्चतम न्यायालय से लेकर तहसील स्तर तक के न्यायालयों में एक साथ हाइब्रिड नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया, इस आयोजन हेतु विगत कई माह से अनवरत तैयारी की जा रही थी और पक्षकारों को नियत सुनवाई दिनांक के पूर्व राजीनामा हेतु नोटिस भेजकर कर प्री-सीटिंग कर राजीनामा करने हेतु प्रोत्साहित किया गया था।

लोक अदालत की सफल कहानी:-

डोलामणि एवं किशन ठाकुर आपस में जिगरी दोस्त थे,दोनों ने मिलकर मछली पालन का व्यवसाय शुरू किया दोनों मिलजुल कर के अच्छी खासी आमदनी प्राप्त कर लेते थे, किंतु किसी बात को लेकर के दोनों में विवाद हो गया और विवाद अपराधिक तूल पकड़ने एवमं मामला थाना पुलिस तक जा पहुंचा और रिपोर्ट दर्ज हुई । जिसके निराकरण हेतु प्रकरण न्यायालय में प्रस्तुत किया गया । तब तक दोनों दोस्तों के बीच मनमुटाव गहरा हो चुका था किंतु आज की लोक अदालत में दोनों को बुलाकर समझाइश दी गई और पुरानी दोस्ती बरकरार रखने की सलाह देते हुए दोनो के मध्य सुलह करा कर प्रकरण को खत्म कराया गया । इस तरह से दोनों ने एक दूसरे को हाथ मिलाकर गले लगाया और मामले का पटाक्षेप मिनटों में हो ।

केश नम्बर 02:-

एक वृद्ध आदिवासी महिला का जमीन विवाद गैरआदिवासी महिला से विगत 7 वर्षों से चल रहा था दोनों जमीन विवाद को लेकर काफी परेशान चल रहे थे लिहाजा वृद्ध आदिवासी महिला ने पिथौरा न्यायालय में वाद प्रस्तुत किया था जहां पर दोनों के मध्य वादग्रस्त भूमि को लेकर विवाद लंबित था आज की लोक अदालत में दोनों पक्षों को बुलाकर आपसी राजीनामा की समझाइश देते हुए राजी नामा कराया गया तथा न्याय शुल्क भी वापस कराया गया इस तरह से लम्बे जमीन विवाद का निबटारा मिनटों में होने से दोनों पक्ष खुशी-खुशी अपने घर चले गए ।

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