Swiss Bank में भारतीयों ने जमा किए 30 हजार 500 करोड़, तोड़ डाला 14 सालों का रिकॉर्ड

स्विस बैंकों में भारतीय ग्राहकों की कुल रासि में यह वृद्धि लगातार दूसरे वर्ष हुई है। वर्ष 2020 के अंत में यह रकम 20,700 करोड़ रुपये थी। बचत या जमा खातों में जमा राशि 4,800 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है।
नई दिल्ली : भारतीय लोगों के लिए स्विस बैंक अभी भी सबसे पसंदीदा जगह बना हुआ है। स्विट्जरलैंड के केन्द्रीय बैंक ने जो लेटेस्ट आंकड़े जारी किए हैं, उससे पता चला है कि, स्विस बैंक में पैसा जमा करने में भारतीय ने पिछले 14 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है और साल 2020 के मुकाबले भारतीयों ने साल 2021 में 50 प्रतिशत ज्यादा पैसा स्विस बैंक में जमा करवाए है।
30 हजार 500 करोड़ किए जमा
स्विट्जरलैंड के केन्द्रीय बैंक ने जो आंकड़े जारी किए हैं, उसके मुताबिक, साल 2021 में भारतीय नागरिकों ने, शाखाओं ने और अन्य वित्तीय संस्थानों की तरफ से स्विट्जरलैंड में 2020 के मुकाबले 2021 में 50 प्रतिशत ज्यादा पैसे जमा करवाए हैं। आंकड़ों में कहा गया है कि, साल 2021 में भारतीयों ने स्विट्जरलैंड में 3.83 अरब स्विस फ्रैंक यानि करीब 30 हजार 500 करोड़ से ज्यादा रुपये जमा करवाए हैं, जो पिछले 14 सालों में सबसे ज्यादा है। स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक के वार्षिक आंकड़ों ने गुरुवार को जारी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि, प्रतिभूतियों और इसी तरह के उपकरणों के साथ-साथ ग्राहकों की जमा राशि भी बढ़ी।
लगातार दूसरे साल रिकॉर्ड जमा
स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक ने जो आंकड़े जारी किए हैं, उससे पता चलता है कि, साल 2020 के अंत तक भारतीयों ने स्विस बैंक में 2.55 अरब स्विस फ्रैंक यानि 20 हजार 700 करोड़ रुपये जमा करवाए थे और इस साल करीब 30 हजार 500 करोड़ रुपये जमा करवाए गये हैं। इसके अलावा, भारतीय ग्राहकों के बचत या जमा खातों में जमा राशि दो साल की गिरावट के नेचर को उलटते हुए, लगभग 4,800 करोड़ रुपये के सात साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई है।
30 हजार 839 करोड़ की देनदारी
स्विस नेशनल बैंक की तरफ से जो रिपोर्ट सार्वजनिक की गई है, उसमें कहा गया है कि, भारतीय क्लाइंट्स पर साल 2021 के अंत तक 30 हजार 839 करोड़ रुपये के देनदारी थी, जिसमें से खाते में 4800 करोड़ रुपये जमा किए गये हैं। वहीं, साल 2020 में चार हजार करोड़ रुपये भारतीयों द्वारा स्विस नेशनल बैंक में जमा किए गये थे। वहीं, भारतीयों द्वारा साल 9 हजार 760 करोड़ रुपये स्विट्जरलैंड के दूसरे बैंकों में जमा किए गये थे, वहीं साल 2020 में स्विट्जरलैंड के दूसरे बैंकों में जमा की गई रकम 3060 करोड़ रुपये था। वहीं, बॉन्ड्स, सिक्योरिटीज और दूसरे अन्य वित्तीय उपकरणों द्वारा 2002 मिलियन स्विस फ्रैंक जमा करवाए गये हैं।
2006 में थी सबसे ज्यादा रुपये जमा
स्विस नेशनल बैंक ने जो आंकड़े जारी किए हैं, उससे पता चलता है कि, भारतीयों ने स्विस बैंक में सबसे ज्यादा रुपये रकम बॉन्ड्स, प्रतिभूति और अन्य वित्तीय साधनों के जरिए जमा करवाए हैं, जो करीब 16 हजार करोड़ रुपये है। वहीं, रिपोर्ट में कहा गया है कि, साल 2006 में भारतीयों की सबसे ज्यादा रुपये यहां पर जमा थे, जो करीब 52 हजार करोड़ रुपये के करीब था। हालांकि, साल 2006 के बाद से स्विस बैंक में जमा भारतीय रुपयों में लगातार कमी होने लगी। लेकिन, उसके बाद से साल 2011, 2013, 2017, 2020 और 2021 में इसमें बेतहाशा वृद्धि देखी गई।
क्या ये काला धन है?
जो आंकड़े स्विस नेशनल बैंक ने दिए हैं, वो आधिकारिक आंकड़े हैं, जो स्विट्जरलैंड में भारतीयों द्वारा रखे गए बहुचर्चित कथित काले धन की मात्रा का संकेत नहीं देते हैं। इन आंकड़ों में वह पैसा भी शामिल नहीं है, जो भारतीयों, एनआरआई या अन्य लोगों के पास स्विस बैंकों में तीसरे देश की संस्थाओं के नाम पर हो सकता है। एसएनबी के अनुसार, भारतीय ग्राहकों के प्रति स्विस बैंकों की ‘कुल देनदारियों’ के लिए इसका डेटा स्विस बैंकों में भारतीय ग्राहकों के सभी प्रकार के फंडों को ध्यान में रखता है, जिसमें व्यक्तियों, बैंकों और उद्यमों से जमा राशि शामिल है। इसमें भारत में स्विस बैंकों की शाखाओं के साथ-साथ गैर-जमा देनदारियां भी शामिल हैं। यानि, स्विस सरकार का मानना है कि, भारतीयों द्वारा स्विस बैंकों में जमा करवाया गया रकम ‘काला धन’ नहीं हैं। स्विस सरकार का कहना है कि, टैक्स चोरी और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में उसने हमेशा से भारत का साथ दिया है।
किस देश के कितने धन जमा?
स्विस नेशनल बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, स्विस बैंक में सबसे ज्यादा ब्रिटिशर्स के पैसे जमा हैं और ब्रिटिश निवासियों के 379 अरब स्विस फ्रैंक जमा हैं, वहीं अमेरिकी ग्राहकों का स्विस बैंक में 168 अरब स्विस फ्रैंक जमा है। रिपोर्ट के मुताबिक, 100 अरब स्विस फ्रैंक से ज्यादा की धनराशि सिर्फ अमेरिका और ब्रिटिश ग्राहकों के ही हैं। वहीं, स्विस बैंकों में सबसे ज्यादा धन रखने वाले टॉप 10 देशों में सिंगापुर, वेस्टइंडियन कंट्रीज, जर्मनी, फ्रांस, हांगकांग, नीदरलैंड, बहमास, केमन आइलैंड और साइप्रस शामिल हैं। वहीं, बात भारत की करें, तो भारत का स्थान इस लिस्ट में 44वें स्थान पर है और स्वीडन, दक्षिण कोरिया, बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे देश भारत से पीछे हैं।